अशोक अग्रवाल, सीओओ, एस्कॉट्र्स सिक्योरिटीज :
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का जो फैसला किया है, उससे लगता है कि आरबीआई थोड़ा सुरक्षित रह कर चलना चाहता है। इससे दिखता है कि आरबीआई काफी ज्यादा सावधानी बरत रहा है।
पहले जब महँगाई दर बढ़ रही थी, तब आरबीआई ने काफी आक्रामक तरीके से अपनी ब्याज दरें बढ़ायी थीं, पर इससे महँगाई दर पर खास असर नहीं पड़ा और उसमें कोई सार्थक कमी नहीं आयी। इसके उल्टे विकास दर पर जरूर असर पड़ा और जीडीपी के बढऩे की रफ्तार पिछली तिमाही में घट कर 5.3% पर आ गयी।
आरबीआई के ताजा कदम से स्पष्ट है कि वह केवल महँगाई दर नियंत्रण में रखने को प्राथमिकता दे रहा है। विकास दर को फिर ऊपर लाने पर उसका ध्यान अभी नहीं है। महँगाई दर घट गयी तो आरबीआई कहेगा कि ब्याज दरें नहीं घटाने से इस पर असर पड़ा। वहीं अगर महँगाई नहीं घटी तो उसका यह कदम अपने-आप ही उचित मान लिया जायेगा। फिलहाल आरबीआई के इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार को एक झटका तो लगा है। बाजार में थोड़ी और गिरावट हो सकती है। लेकिन अगर वैश्विक बाजारों से कोई बुरी खबर न मिले, मसलन अमेरिका में फेडरल रिजर्व की कोई नकारात्मक टिप्पणी न आ जाये, तो निफ्टी को 5050 के पास सहारा मिलने की उम्मीद रहेगी।
(निवेश मंथन, अगस्त 2012)