बचत और निवेश हमारे अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए जरूरी है। और अगर निवेश करने पर आय कर (इन्कम टैक्स) में छूट भी मिल जाये तो यह सोने पर सुहागा ही कहा जा सकता है। आय कर कानून की धारा 80सी के तहत कुल एक लाख रुपये तक के निवेश पर कर में छूट ली जा सकती है।
यह निवेश करने के लिए कई तरह के विकल्प दिये गये हैं। आप चाहें तो इन विकल्पों में कुल एक लाख रुपये से ज्यादा का निवेश कर सकते हैं, पर इसमें से एक लाख रुपये के निवेश पर ही कर छूट मिलेगी। इसके अलावा 80सीसीएफ के तहत बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) बांडों में 20,000 रुपये के निवेश पर कर छूट मिलती है। इस तरह निवेश के माध्यम से कुल 1.20 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट हासिल की जा सकती है।
यह छूट हर वित्त वर्ष में 31 मार्च तक किये गये निवेश पर ही मिलती है। लेकिन कंपनियाँ अपने कर्मचारियों से ऐसे निवेश का ब्यौरा फरवरी के अंत तक या मार्च की शुरुआत में ही माँग लेती हैं, ताकि वे मार्च में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का ठीक से आकलन कर सकें। इसीलिए फरवरी-मार्च के महीनों में लोग कर बचत के लिए निवेश की आपाधापी में लग जाते हैं।
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), डाक घर की राष्ट्रीय बचत योजना (एनएससी), बैंकों में कम-से-कम पाँच साल की मियादी जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट), म्यूचुअल फंडों की इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस), बीमा कंपनियों के यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेंस प्लान (यूलिप) कुछ प्रमुख लोकप्रिय विकल्प हैं।
इस साल कितना निवेश करना होगा : याद रखें कि एक लाख रुपये की सीमा को पूरा करने के लिए कई निवेश या खर्च तो अपने-आप हो ही जाते हैं। मसलन, अगर आपके वेतन से पीएफ कटता है तो वह राशि इसमें जुड़ जायेगी। अगर घर कर्ज ले रखा है तो उसके मूल धन (प्रिंसिपल) भुगतान की राशि इसमें जुड़ जायेगी। आपके बच्चे स्कूल-कॉलेज में पढ़ते हों तो उनका शिक्षण शुल्क (फीस) भी जोड़ लें, लेकिन केवल दो ही बच्चों का। अगर पिछले सालों में राष्ट्रीय बचत योजना (एनएससी) में निवेश किया हो, तो उस पर इस साल मिला ब्याज भी जोड़ें। यह सब जोडऩे के बाद देखें कि एक लाख रुपये की सीमा तक जाने के लिए और कितना निवेश जरूरी होगा।
इसके बाद देखें कि पहले से ली हुई बीमा पॉलिसियों को जारी रखने के लिए कितना प्रीमियम जमा करना है। वह रकम भी अलग करने के बाद देखें कि एक लाख पूरा करने के लिए कितना नया निवेश करना होगा। इस नये निवेश के लिए आपके सामने तमाम विकल्प हैं।
ईपीएफ : कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड में आम तौर पर वेतन का 12% हिस्सा जमा होता है जो वेतन से अपने-आप कट जाता है। अधिक आय वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ अनिवार्य नहीं है। लेकिन यह इस समय निवेश के सुरक्षित और बेहतर विकल्पों में से एक है, लिहाजा जिनके लिए अनिवार्य नहीं हो, उनके लिए भी बेहतर है कि वे ईपीएफ (या सामान्य भाषा में पीएफ) कटवायें। आप चाहें तो पीएफ में अपना योगदान 12% से बढ़ा भी सकते हैं। हालाँकि पीएफ पर ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है, लेकिन इस समय ईपीएफ पर 8.5% ब्याज मिलता है जो अन्य सुरक्षित विकल्पों से ज्यादा ही है। यह ब्याज कर मुफ्त भी है।
पीपीएफ : पब्लिक प्रॉविडेंट फंड पर इस समय 8.6% ब्याज है। यह ब्याज भी कर मुफ्त है, यानी पीपीएफ की 15 साल की अवधि पूरी होने पर मिलने वाला ब्याज उस साल आपकी कर योग्य आय में नहीं जोड़ा जायेगा। पहले पीपीएफ में अधिकतम 70,000 रुपये के निवेश पर ही कर छूट मिलती थी, लेकिन अब इसमें पूरे एक लाख रुपये तक के निवेश पर 80सी के तहत कर छूट ली जा सकती है।
जीवन बीमा : जीवन बीमा के प्रीमियम भुगतान में आप अपनी जरूरत के मुताबिक एकमुश्त प्रीमियम या सालाना प्रीमियम वाली बीमा योजना चुन सकते हैं। जीवन बीमा पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर मिलने वाली रकम भी कर मुफ्त होती है। इस तरह की बीमा योजना में आपको कोई रकम वापस नहीं मिलती। लेकिन याद रखें कि सावधि बीमा यानी टर्म इन्श्योरेंस कम प्रीमियम में आपके परिवार को सबसे ज्यादा बीमा सुरक्षा देता है।
यूलिप : यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेंस प्लान यानी यूलिप बीमा कंपनियाँ जारी करती हैं। इनमें निवेश की न्यूनतम अवधि या लॉक इन पाँच साल है। इससे पहले पैसा निकालने पर शुल्क तो लगेगा ही, पहले जो मिली कर छूट भी वापस हो जायेगी और उस छूट की रकम पैसा निकालने वाले साल में आपकी कर योग्य आय में जुड़ जायेगी। शुरुआती सालों में कमीशन आदि खर्च कटने के चलते यूलिप का असली फायदा 15-20 सालों की लंबी अवधि में ही मिलता है।
एनएससी : राष्ट्रीय बचत योजना यानी एनएससी में निवेश डाक घर (पोस्ट ऑफिस) में होता है। इसमें कम-से-कम पाँच साल के लिए निवेश करने पर कर में छूट मिलती है। इस पर 8.4% ब्याज मिलता है, जो हर छमाही में जुड़ता है। लेकिन ध्यान रखें कि इसका ब्याज कर मुफ्त नहीं है।
बैंक एफडी : बैंकों में कम-से-कम पाँच साल के लिए मियादी जमा (एफडी) पर भी कर में छूट है। हर बैंक की ब्याज दर अलग-अलग है, लेकिन इस समय पाँच साल की एफडी पर अमूमन 9% से लेकर 9.50% तक ब्याज दर मिल सकती है। इसमें ब्याज तिमाही जुड़ता है, इस लिहाज से यह एनएससी से ज्यादा फायदेमंद है। लेकिन इस पर मिलने वाला ब्याज भी एनएससी की तरह ही कर मुफ्त नहीं है।
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस): इस योजना में 9% ब्याज मिलता है और ब्याज का तिमाही भुगतान होता रहता है। लिहाजा एक नियमित आय चाहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह अच्छा है। इसमें 65 वर्ष या अधिक उम्र के व्यक्ति जितना चाहें उतना निवेश कर सकते हैं, लेकिन कर छूट 01 लाख रुपये तक के निवेश पर ही होगी। अगर आपकी उम्र 60-65 वर्ष के बीच है, या आपने 55 वर्ष की उम्र में स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लिया है तो आप इसमें 05 वर्ष की अवधि के लिए 15 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं।
ईएलएसएस : इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस के नाम से जाहिर है कि यह इक्विटी यानी शेयरों में निवेश से जुड़ी योजना है। यह म्यूचुअल फंडों की योजना होती है और इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम होने के चलते किसी निश्चित लाभ का वादा नहीं किया जाता। लेकिन अधिक जोखिम के साथ ही इसमें अधिक लाभ का अवसर भी है, क्योंकि विशेषज्ञ फंड मैनेजर के हाथों में आपका पैसा होने के कारण शेयर बाजार से मिलने वाला लाभ बाकी विकल्पों से ज्यादा होने की उम्मीद भी रहती है। इसमें निवेश की अवधि कम-से-कम तीन साल है। इससे समय-समय पर मिलने वाले लाभांश (डिविडेंड) और अंत में मिलने वाली रकम कर मुक्त है। तीन साल की अवधि होने के कारण लंबी अवधि का पूँजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन) नहीं लगता।
परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश में भी कर छूट : चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश गुप्ता बताते हैं कि 80सी के तहत अपने परिवार के अन्य सदस्यों यानी जीवनसाथी और बच्चों के नाम पर किये गये निवेश पर भी कर छूट हासिल की जा सकती है। आम तौर पर यह बात लोगों के ध्यान में नहीं रहती। यह सुविधा जीवन बीमा, एन्विटी प्लान, पीपीएफ, यूलिप जैसे विकल्पों में उपलब्ध है। यह जरूरी नहीं है कि बच्चे छोटे हों। बच्चे वयस्क, आत्मनिर्भर और विवाहित हों तो भी उनके नाम पर किये गये निवेश पर कर छूट मिलेगी।
क्या-क्या जुड़ सकता है 80सी के तहत 01 लाख रुपये की छूट में
- प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) में कर्मचारी का अपना योगदान
- जीवन बीमा का प्रीमियम भुगतान
- ईएलएसएस
- पीपीएफ (अधिकतम 70,000 रुपये)
- पेंशन फंड, एनपीएस
- राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी)
- एनएससी में पुराने निवेश पर मिला ब्याज
- डाक घर की बचत योजना (कम-से-कम 05 साल)
- बैंकों में कम-से-कम 05 साल की मियादी जमा (एफडी)
- यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेंस प्लान (यूलिप)
- घर कर्ज (होम लोन) के मूल धन (प्रिंसिपल) का भुगतान
- घर खरीदने के लिए रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी पर खर्च
- अपने दो बच्चों का शिक्षण शुल्क
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
(निवेश मंथन, मार्च 2012)