सरकार ने आय कर में छूट की जो सुविधाएँ दे रखी हैं, उनका पूरा-पूरा फायदा उठाना आपका हक है। बस थोड़ी सी तैयारी और आय कर प्रावधानों की समझदारी से आप अपनी आय पर लगने वाले कर का बोझ काफी हल्का कर सकते हैं। कोई मुश्किल काम नहीं है यह।
अक्सर लोग फरवरी-मार्च में हड़बड़ी में कर बचत के लिए ऐसे विकल्पों में पैसा लगा देते हैं, जो निवेश के नजरिये से उनके लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं होता। मसलन, आय कर की धारा 80सी के तहत एक लाख रुपये की छूट पाने के लिए आपके सामने निवेश के कई विकल्प होते हैं। ये सभी विकल्प निवेश करने के समय तो कर की बचत एक जैसी करायेंगे, लेकिन क्या बाद में इनसे मिलने वाला फायदा एक जैसा होगा? नहीं। इसलिए ऐसे विकल्प चुनें, जो कर की बचत कराने के साथ-साथ आगे चल कर ज्यादा फायदेमंद भी हों और आपकी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा करें।
अपनी कर योजना बनाने के लिए सबसे पहले तो अपनी कुल आमदनी का हिसाब लगायें। इसमें हर तरह की आमदनी जोड़ें, जैसे वेतन-भत्तों, अपने किसी मकान से किराया, कोई कारोबार हो तो उससे मिला लाभ, पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) और अन्य स्रोतों से आय, जैसे बैंक से ब्याज वगैरह।
फिर इसमें वैसी आमदनी हटा दें, जिस पर आय कर नहीं लगता। वेतन-भत्तों में से मकान किराया भत्ता (एचआरए), परिवहन (कन्वेयेंस) भत्ता, बच्चों की शिक्षा का भत्ता, टेलीफोन भत्ता, छुट्टी यात्रा भत्ता (एलटीए), इलाज खर्च का भत्ता (मेडिकल रीइंबर्समेंट) जैसी चीजें घटा दी जाती हैं। इन सभी मदों में मिलने वाली छूट की अपनी-अपनी सीमाएँ हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
अगर मकान के किराये से कोई आमदनी है तो उसमें से संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) को घटा दिया जाता है। संपत्ति कर घटाने के बाद बची रकम का 30% काट दिया जाता है। अगर उस मकान पर कर्ज (हाउसिंग लोन) लिया गया है तो उस पर दिया गया पूरा ब्याज अब इस बाकी बची आमदनी से कट जायेगा। ध्यान दें कि अगर कर्ज लेकर खरीदे गये मकान में आप खुद रहे हों, तो 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज भुगतान पर छूट मिलती है। लेकिन अगर कर्ज से खरीदे गये मकान से किराये की आमदनी हो रही है तो 1.5 लाख रुपये से अधिक ब्याज पर भी पूरी छूट मिलेगी।
किन-किन तरीकों से बचेगा आय कर?
अपनी कुल आमदनी में से कर मुफ्त हिस्सा घटाने के बाद जितनी आमदनी बचती है, उससे आपको अंदाजा लग जायेगा कि आप को कितना कर देना पड़ सकता है। उसके हिसाब से आप कर बचाने की योजना तैयार करें।
किसी वेतनभोगी कर्मचारी के लिए एचआरए कर बचाने का एक बड़ा जरिया है। अक्सर यह उनके मूल वेतन (बेसिक सैलरी) का 40% तक होता है। कर्मचारियों को कंपनी की ओर से मिलने वाला मासिक परिवहन भत्ता (कन्वेयेंस या ट्रांसपोर्ट एलाउएंस) 800 रुपये प्रति माह तक कर मुफ्त है। कंपनी अगर कर्मचारी और उसके निकट संबंधियों के इलाज पर खर्च का भुगतान (मेडिकल रीइंबर्समेंट) करती है तो सालाना 15,000 रुपये तक का भुगतान कर मुफ्त है।
इसके अलावा हर दो साल में एक बार छुट्टी यात्रा भत्ता (एलटीए) का फायदा उठाया जा सकता है। इसमें कर छूट यात्रा पर किये गये वास्तविक खर्च के आधार पर मिलती है। यह ध्यान रखें कि होटल में रुकने, खाने-पीने वगैरह का खर्च इसमें नहीं जोड़ा जा सकता। बच्चों की शिक्षा के लिए अगर कंपनी की ओर से छात्रवृति (स्कॉलरशिप) मिलती हो तो यह हर बच्चे के लिए 100 रुपये प्रति माह तक कर मुफ्त है।
आपके समूचे वेतन- भत्तों में से इन सब कर मुफ्त हिस्सों को हटाने पर आपकी सकल आय (ग्रॉस टोटल इन्कम) निकलती है। फिर इसमें से उन मदों को घटाया जाता है, जिस पर आपको कर कटौती की सुविधा मिली हो। इस कटौती में मुख्य रूप से दो तरह से फायदे लिये जा सकते हैं। पहला, आप आय कर कानून की धारा 80सी के तहत एक लाख रुपये और बुनियादी ढाँचा बांडो में 20,000 रुपये तक के निवेश पर कर की छूट पा सकते हैं। दूसरे, आप खुद अपने लिए और अपने परिवार के लिए चिकित्सा बीमा (मेडिकल इन्श्योरेंस या मेडिक्लेम) ले कर 15,000 रुपये की कर कटौती का फायदा ले सकते हैं। अगर आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और आप उनके लिए चिकित्सा बीमा कराते हैं तो उस पर 20,000 रुपये तक की छूट मिलेगी। यानी चिकित्सा बीमा पर सालाना 35,000 रुपये तक की कर कटौती का फायदा लिया जा सकता है।
इसके बाद आप घर कर्ज (हाउसिंग लोन) पर 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज भुगतान पर कर में छूट पा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि मकान किराया भत्ता और घर कर्ज पर ब्याज दोनों मदों में कर का फायदा आपको तभी मिलेगा, जब आप किराये के मकान में रह रहे हों और घर कर्ज लेकर खरीदा गया मकान किसी दूसरे शहर में हो। ठ्ठ
(निवेश मंथन, मार्च 2012)